प्रसार भारती की "ऑल इंडिया रेडियो सर्विस" के एक वर्ष पूर्ण होने पर लीजिये एक पुराना लेख और रेडियो से जुडी मेरी स्मरणीकाएँ......!
==रेडियो 'प्रसार भारती'==
कुछ वर्षो पूर्व बचपन की सुहानी यादो बाली 'चवन्नी' प्रचलन से बाहर हुई थी,मानो दादाजी-नाना जी की जेब से मिलने वाला बो स्नेहमाध्यम हमसे छीन लिया गया था ।
कभी-कभी मूल्य नहीं देयस्नेह से जुडी स्मरणिकाये बहुमूल्य होती हैं। और ऐसा कुछ अभी 4 जनवरी फिर से गुजरा जब प्रसारभारती के "आकाशवाणी" की मधुर ध्वनि खामोश होने की याद फिर से ताजा हुई ।
बम्बई और कोलकाता में दो निजी ट्रांसमीटरों द्वारा सन 1927 को जब ब्रितानी काल में इसकी नीव रखी गयी थी।तो कोई नहीं जानता था कि मनुष्य जीवन की तरह इसका भी हाल होगा ।
एक समय रेडियो का अपना जलवा हुआ करता था किन्तु "'यौवन' में ठहराव हो सकता चिरस्थायित्व नहीं।" वाली कहावत इस सप्तरंगी श्रवण माध्यम पर भी लागू हो गयी और अपनी लगभग 82 वर्षीय अवस्था के साथ (8 जून 1936 से) अपनी 430 प्रसारण केंद्रीय,23 भाषाओ,नजदीकी 92% देशो की पहुच और देशव्यापी 99.12 ℅ बाला "बहुजन हिताय-बहुजन सुखाय" माध्यम विदा ले गया ।
भोर ही भोर "वन्देमातरम" की वन्दना से "रामचरित मानस" तक स्वर लहरिया एकाएक बन्द हो गयीं। कितने ही आवाज की दुनिया के सितारों से यु बिछड़ना हो गया!'आल इण्डिया रेडियो की उर्दू सेवा"बाले रियाज खान जी की वो खरखराती आवाज से जब दोपहर में 01:40 बजे सुनाई पड़ता था,"कार्यक्रम जवानो के लिए" जो जेसे 'बारम्बारता' वाई सुई यथास्थान जड़वत हो जाती थी ..!
अमीन सयानी और विविधभारती की युगलता को कोन भूल सकता है ।जब नगमो में नगीना खोजना 'विनाका गीतमाला' से चुना जाता था ।
विविध भारती के 'हवामहल' में अगर आपने "जयपुर बाली ट्रेन" हास्यनाटक नहीं सुना तो आप शब्द हास्य् के पारखी नहीं भी हो सकते हे।
रेडियो से मेरा सम्बन्ध उस समय हुआ था जब करीब 7 वर्ष का होऊंगा।पिताजी के साथ बीबीसी रेडियो और विविधभारती सुनना जेसै आज की सोशल एक्टिविटीज की तरह ही निरन्तर था।गुजरे समय में भैया-भाभी द्वारा जन्मदिवस पर भेंट मिला फिलिप्स का 3बेंड बाला छुटकू रेडियो जेसे उन दिनों अपना सच्चा साथी हुआ करता था ।
एक सुखद और स्वस्थ मनोरंजन के साथ बीबीसी का "विज्ञान और विकाश" कोतूहल पैदा करता था तो विश्वविद्यालयी दिवसों में क्रिकेट कमेंट्री सुनने का जमघट भी हुआ करता था..!
'विनीत गर्ग-प्रकाश वांगड़ेकर,संजय बनर्जी' कमेंटेटर जेसे स्वरों से दृश्यचित्र बनाते थे की स्पंदन करता हृदय कहीं स्पंद करना न भूल जाए और गेंदों की बढ़ती संख्या बढ़ती हृदयगति को रोक देते थे ।
मैनैं तो इसी माध्यम पर कितनी बार उनको गीत सुनाये जो पता नहीं सुनते भी थे या फ्रीक्वेंसी में घड़घड़ाहट थी ...!
वारिस और बादल की विधुत की बजह जो तरंग प्रकीररण में व्यवधान हुआ की शॉर्टवेव की कटक और "सर्रर्ररर....!सरर्रर्रर्र...!! की आवाज के साथ मनपसंद गीत मिला बांछे खिल उठती थी ...! आज 4 जी स्पीड पर सब सहज उपलब्ध है किन्तु जो आनन्द प्रतीक्षा में अनुभूत होता है वह अतिशीघ्र मिलने पर आकर्षण रहित हो जाता है ।
समय बदला...! प्रसारण-मनोरंजन,संचार क्षेत्र में टीव्ही (बुद्धुबक्स) के कई चैनल और 'कुतका' से बदलते कार्यक्रमों ने 'एक बाल मित्र' से दूरिंया बढ़ा दीं ....किन्तु इंटरनेट और 2 जी बेंड पर भी चलती 'प्रसारभारती' एप से कल तक जुड़ा हुआ था।फिर चाहे आप मुझे "ओल्ड थिंकिंग बॉय" कहो या 'ओल्ड इज गोल्ड' ...मुझे फर्क नहीं पड़ता !
आकाशवाणी और उसके 5 प्रशिक्षण केन्द्रो का बन्द होना हम सभी की लापरवाही ही है। क्यों कि हमारे निष्ठुर हुए स्वभाव का फल है।
वास्तविकता में हम 'प्रसार भारती नहीं 82 वर्षीय "बहुजन हिताय-बहुजन सुखाय" बाली एक बुजुर्ग की दिग्दर्शक - मार्गदर्शिका को खो बेठैं हैं ....!
बचपन की यादों वाली चवन्नी और किशोर-युवा वय वाली "आकाशवाणी" आप बहुत याद आओगी। फिर दिवाली पर पुनः नजर आये छुटकू 'फिलिप्स' को देख आँखे सजल हुई हों अथवा चवन्नी बाली 'चटर-पटर'पर जंग लगी हुई मिली स्वर्णिम यादें पुनः दृष्टिपटल पर सचित्र हुई हो .....! यादों का क्या...! यादें ही वह सच्ची मुहब्बत होती हैं, जो जीवन के गलियारों में कहीं न कहीं किसी न किसी दीवार पर आपके इश्क को जवान करके। जीवन की विधितताओ में लाकर पुनः इश्क से इश्क कर लेने की प्रेरणा देती हे ...!!!
अलविदा ........!!
"बहुजन हिताय-बहुजन सुखाय!"
प्रसार-भारती.....!!
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जितेन्द्र सिंह तोमर '५२से' चम्बल तंवरघार स्टैट मुरैना (म.प्र.