हिमांशु शर्मा
मुरैना, जनतंत्र गाथा । शहर में खुलेआम अवैध रेत का परिवहन माफिया द्वारा कराया जा रहा है। आखिर पुलिस माफिया के काले कारोबार क्यों लगाम नहीं लगा पा रही। इसको विस्तार से जानते हैं। चंबल नदी से माफिया के इशारे पर सेंकड़ों ट्रेक्टर ट्रोलीयों, डंपरों आदि के माध्यम से चंबल नदी का सीना चीरकर इन वाहनों में रेत को भरा जाता है। यहां बता दें कि माफिया द्वारा चंबल के घाटों में जेसीबी एवं बड़ी बड़ी मशीनों के माध्यम से रेत निकाला जाता है। जो कि पूरी तरह से अवैध है। हालांकि यह कार्य खुलेआम आम चलता है लेकिन पुलिस प्रशासन के अधिकारियों द्वारा लगाम लगाकर माफिया के लोगों पर कार्रवाई नहीं की जाती। चूंकि कई थानों के थाना प्रभारी और स्टाफ को माफिया द्वारा नजराना अर्थात महीने दारी के रूप में एक मोटी रकम दी जाती है। इतना ही नहीं खुद थाने की पुलिस द्वारा रजिस्टर पर हर एक वाहन की एंट्री कर खुलेआम थानों के सामने से निकाला जाता है। थानों के सामने से बिना नंबर एवं अवैध रेत से भरे वाहनों का परिवहन 24 घंटे चलता है। लेकिन चंद रुपयों पर अपनी ईमानदारी बेच चुकी पुलिस आखिर माफिया पर कार्रवाई कर भी कैसे सकती है।
हर साल अवैध रेत से भरे वाहनों से होती हैं अकाल मौतें
हर साल अवैध रेत से भरे वाहनों से मौतें हो रही हैं। लेकिन चंद कागज के टुकड़ों के खातिर बिक चुकी पुलिस आखिर कर भी क्या सकती है। हर साल खानापूर्ति के लिए अधिकारियों द्वारा छिटपुट कार्रवाई कराकर शासन को दिखाया जाता है कि पुलिस धड़ल्ले से चल रहे रेत के काले कारोबार के प्रति कितनी गंभीर है। हालांकि जब तक पुलिस शहर समेत गावों में चल रहे रेत के अवैध कारोबार पर रोक नहीं लगाती। तब तक मासूम ऐसे ही काल के गाल में समाते रहेंगे।
स्टेशन रोड़ थाना क्षेत्र में लगती है रेत की अवैध मंडी
स्टेशन रोड़ थाना क्षेत्र के बढ़ोखर में वर्षों से माफिया द्वारा रेत की अवैध मंडी का संचालन किया जा रहा है। बावजूद इसके थाना प्रभारी रेत की मंडी पर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। जब भी रेत की अवैध मंडी पर उनसे कार्रवाई करने की मांग की जाती है। तो वह इससे पल्ला झाड़ लेते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि थाना स्टेशन रोड़ पर भी माफिया की मेहरबानी है। और यहां भी पुलिस नजराना लेके माफिया के साथ सांठगांठ कर खुलेआम रेत का अवैध परिवहन करवा रही है।